परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रीमद् वासुदेवानंदसरस्वती (टेंबे) स्वामी महाराज चरित्र*

 🙏🏻  नमो गुरवे वासुदेवाय 🙏🏻 


*परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रीमद् वासुदेवानंदसरस्वती (टेंबे) स्वामी महाराज चरित्र*


अध्याय १९९ - चिखलदा 


चिखलदा में बहुत से भक्त परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रीमद् वासुदेवानंदसरस्वती (टेंबे) स्वामी महाराज के आसपास हुआ करते थे। कोई उपनिषद श्रवण करने आता तो कोई योग या ज्योतिष या वैयकिय शास्त्र सीखने के लिए आता था। कोई श्री स्वामी महाराज के मुख से निकले शब्दों को शास्त्रवचन की तरह मानकर उन की बाते श्रवण करने आता था। अनेक जिज्ञासु लोग उन के पास आने लगे थे। रोज का पुराण नित्य चलता ही रहता था। यहां गंगाधरपंत वैद्य, बाळाभाऊ वैद्य और नानासाहब वगैरा लोग श्री स्वामी महाराज के साथ हुआ करते थे। इन लोगों को श्री स्वामी महाराज ने योग सिखाया और उपनिषद भाष्य के पाठ भी समझाए।इन में से गंगाधरपंत वैद्यजी ने श्री स्वामी महाराज की बहुत सी यादे लिख कर रखी है। इस चरित्र लेखन में उन्होंने लिखे हुए अनुभवों का उपयोग किया है।


व्यंकटराव नामक एक ब्राह्मण गृहस्थ अपनी पत्नी के मृत्यु के बाद विरक्त होकर रेलवे की नौकरी छोड़ कर चिखलदा के कोटेश्वर की घाटी में ईश्वर भजन में जीवन व्यतीत कर रहे थे। उन्हें योग सीखना था। उन्होंने श्री स्वामी महाराज से योग सीखाने की प्रार्थना की। श्री स्वामी महाराज जानते थे की वे योग सिखने के लिए अधिकारी व्यक्ति है। इसलिए उन्होंने व्यंकटरावजी को योग की षटक्रियाए और प्राणायाम सिखाये।


 क्रमशः


।। भक्तवत्सल भक्ताभिमानी राजाधिराज श्री सदगुरुराज वासुदेवानंदसरस्वती स्वामी महाराज की जय ।।


🙏🏻  अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त 🙏🏻

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